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Bihar Band |
Patna Rahul Gandhi के निर्दित्व में निकले जलूस में विपक्ष की एक जूटता का प्रदर्शन तो हुआ लेकिन कॉंग्रस के वरिष्ट नेता और चर्चित चेहरा Kanhaiya Kumar को लेकर एक दृश्य चर्चा का विशय बन गया बिहार में मददाता सूची पुनिरिक्षन के विरोध में महागठबंधन द्वारा बुलाए गए बिहार बंद के दौरान पटना की सड़कों पर बड़ा राजनीतिक नजारा देखने को मिला महा गटबंदन द्वारा बुलाए गए बिहार बंद के दोरान राजधानी पटना की सड़कों पर कॉंग्रिस नेता राहुल गांधी खुद महागठबंधन के तमाम नेताओं के साथ मार्च करते नजराए लेकिन इस विरोध मार्च की सुर्खियां सिर्फ मुद्दे की वजह से नहीं बल्कि एक दृष्य की वजह से भी बनी रही और वो था कॉंग्रेस के ही वरिष्ट नेता कन्हैया कुमार को रथ पर चड़ने से रोका जाना
जैसे ही Rahul Gandhi, आरजडी नेता तेजस्वी यादव, भाजपा के दिपांकर भट्टाचार्य, वियाईपी पार्टी के मुकेश्र सैनी, अन्य विपक्षी दलों के बड़े नेता एक साथ एक रथ पर सवार होकर प्रदर्शन नेतरत्व कर रहे थे उसी दोरान कन्हैया कुमार जैसे ही रथ पर चड़ने लगे, मौके पर तैनाथ रक्षा कर्मियों ने उन्हें रथ पर चड़ने से रोग दिया प्रतेक्ष दर्शियों के अनुसार Kanhaiya Kumar को तुरंत नीचे उतार दिया गया, उन्हें उपर चड़ने की इजाज़त तक नहीं दी चड़ने से रोक दिया प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार कन्हैया कुमार को तुरंत नीचे उतार दिया गया उन्हें ऊपर चड़ने की इजाज़त तक नहीं दी गई इस घटना का एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वाइरल हो रहा है जिसमें स्पष्ट दिख रहा है कि कनईया कुमार रत से नीचे उतारे जा रहे हैं जबकि ऊपर राहुल गांधी तेजस्वी यादव अन्य प्रमुख नेता पहले से मौजूद है इस दृश्य ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी अब ये सवाल उठने लगे कि क्या कन्हैया कुमार को कॉंग्रेस खुद दरकिनार करना चाहती है या फिर कॉंग्रेस के भीतर खीचतान चल रही है
कन्हैया कुमार जब 28 सितमबर 2021 को दिल्ली में कॉंग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे तभी से उनकी भूमिका को लेकर बिहार की राजनीति में अलग-अलग तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी तेजस्वी आदव के साथ उनकी केमिस्ट्री कभी सहज नहीं दिखी
2019 के लोगसबा चुनाव में जब कन्हैया कुमार बेगुसराय से CPI के टिकेट पर चुनाव लड़े थे तब आरजेडी ने उनके खिलाब तनवीर हसन को उतार दिया था जिससे विपक्ष्री एकता की उमीदों को बड़ा जटका लगा था उसके बाद भी दोनों राजनीति में प्रोजेक्ट किया गया कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने बड़े उच्छा से पार्टी में शामिल किया था उन्हें यूबा नेता के रूप में प्रस्तूत किया गया पार्टी का
चेहरा बन सकते थे लेकिन हकीकत यह है कि पिछले दो सालों में कनईया बिहार की राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं रहे वह राष्ट्रीय स्तर पर कुछ मुद्दों पर जरूर देखे लेकिन बिहार कांग्रेस में उन्हें कोई निर्णायक भूमिका नहीं मिली यहां तक कि पार्टी के अंदर भी उनकी स्विक्कार्यता को लेकर सवाल बने रहे राहुल गांधी जैसे बड़े नेता के रथ पर कन्हैया कुमार को जगह ना मिलना ना केवल उनकी व्यक्तिगत राजनेतिक हैसियत को लेकर सवाल उठाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कांग्रेस अपने ही नेता को लेकर दो राहे पर खड़ी है क्या महागठबंधन के भीतर सियासी
साइलेंट टकराव है कन्हैया कुमार को रथ से दूर रखना सिर्फ कांग्रेस का निर्णय था या फिर यह महा गठबंधन के साजिधारों की आपसी सहमती का हिस्सा था यह स्पष्श नहीं है लेकिन ये घटना जरूर इशारा करती है कि विपक्ष एकता के मंज पर अंदर ही अंदर कुछ दरारे मौजूद हैं तेजस्वी यादव की कन्हैया कुमार के प्रती थंडी प्रतिक्रिया और
मंच पर उनकी अनुपस्थिती इन अटकलों को और भी बल दे रही है बिहार रैली की दौरान दिखा ये राजनूतिक दृश्य सिर्फ एक चूक नहीं बलकि एक संदेश भी है एक संकेद भी है विपक्ष एकता की तस्वीर जितनी बाहर से एक जूट दिख रही है उतनी भीतर से शायद नहीं है